World’s Best Short Hindi Poems for Kids on Life
World Best Poem in Hindi
धोखा
निगाहों से क़त्ल कर डालो
न हो तकलीफ दोनों को,
तुम्हे खंजर उठाने की
हमे गर्दन झुकाने की!!!
Latest Hindi Poem on Life
जीवन
पास प्यासे के कुआँ आता नहीं है
यह कहावत है अमरवाणी नहीं है,
और जिसके पास देने को न कुछ भी
एक भी ऐसा यहाँ प्राणी नहीं है!
कर स्वयं हर गीत का श्रृंगार
जाने देवता को कौन सा भा जाये!
चोट खाकर टूटते हैं सिर्फ दर्पण
किन्तु आकृतियाँ कभी टूटी नहीं है,
आदमी से रूठ जाता है सभी कुछ
पर समस्यायें कभी रूठी नहीं है!
व्यर्थ है करना खुशामद रास्तों की
काम अपने पाँव ही आते सफर में,
वह न ईश्वर के उठाए भी उठेगा
जो स्वयं गिर जाय अपनी ही नज़र में!!!
Short Hindi Poems for Kids
चिड़िया
एक एक तिनका जोड़ कर चिड़िया
अपना घर बनाती है,
धुप, हवा और बारिश से
अपना परिवार बचाती है,
मेहनत से तुम न घबराना
हम सबको सिखलाती है,
छोटे छोटे हाथों से वह
बड़े काम कर जाती है!!!
Best Short Hindi Poems
कुत्ते चले फिल्म की ओर
एक समय की बात सुनाऊँ छोटी से है कहानी
दो कुत्तों ने एक बार पिक्चर देखन की ठानी,
दो कुत्तों ने एक बार पिक्चर देखन की ठानी,
पहुंचे दोनों फिल्म हॉल पर अंदर कैसे जाएँ
फिल्म शुरू होने को थी सुझा न कोई उपाय,
पहला बोला चुपके से हम अंदर घुस जायेंगे
फिल्म शुरू होने को थी सुझा न कोई उपाय,
पहला बोला चुपके से हम अंदर घुस जायेंगे
शीट के नीचे बैठेंगे और फिल्म देख आयेंगे,
पर क्या जाने फिल्म देखनी थी उनकी नादानी
दो कुत्तों ने एक बार पिक्चर देखन की ठानी!
दूजा बोला पकड़े गए तो इज्जत से जायेंगे
आदमी की मौत बिना वजह ही हम मरे जायेंगे,
आदमी की मौत बिना वजह ही हम मरे जायेंगे,
एक एक करके देखेंगे हम पिक्चर आधी आधी
मैं देखूंगा मौत विलेन की तुम हीरो की शादी,
मैं देखूंगा मौत विलेन की तुम हीरो की शादी,
पहला बोला कह दी तुमने ये तो बात सायानी
दो कुत्तों ने एक बार पिक्चर देखन की ठानी!
घुस गया पहला सीट के नीचे लगा देखने “शोले”
देख बसंती को परदे पर बैठ गया मुँह खोले,
(परदे से धर्मेन्द्र की आवाज़ आयी बसंती इन कुत्तों के सामने मत नाचना)
देख बसंती को परदे पर बैठ गया मुँह खोले,
(परदे से धर्मेन्द्र की आवाज़ आयी बसंती इन कुत्तों के सामने मत नाचना)
इन कुत्तों के सामने मत नाचना की सुनके आवाज़
बैठे बैठे कुत्ते भी भूल गए सब काज,
दौड़ा जैसे धर्मेंद्र हो उसका दुश्मन जानी
दो कुत्तों ने एक बार पिक्चर देखन की ठानी!
बोला बाहर आकर अंदर हुआ तमाशा भारी
हीरो ने था देख लिया मुझे और जनता थी सारी,
नाच रुका था मेरे कारण मैंने अक़्ल लगायी
पकड़ा जाता जो मै अंदर होती खूब पिटाई,
छुपना तुझे न आया बोला दूजा बनकर ज्ञानी
दो कुत्तों ने एक बार पिक्चर देखन की ठानी!
दूजा जाकर बैठा ही था जोर से बोला गब्बर
“अरे ओ सांभा जरा उठा तो बन्दूक और लगा तो निशाना इस कुत्ते पर”
इतनी सुनी जो कुत्ते ने तो उड़ गये उसके तोते
वो भी उड़ जाता बहार गर उसके पर भी होते,
कैसे देख लिया गब्बर ने थी उसको हैरानी
दो कुत्तों ने एक बार पिक्चर देखन की ठानी!
काँप रहीं थी टाँगे थर थर जीभ आयी थी बाहर
बाहर आकर बात बताई उसने तो डर डर कर,
जाने कैसे देख लिया था मुझको तो गब्बर ने
तेरे कारण नाच रुका था मै तो चला था मरने,
तेरे कारण नाच रुका था मै तो चला था मरने,
अब ना कभी देखेंगे पिक्चर ये दोनों ने ठानी
दो कुत्तों की पिक्चर की होती है ख़त्म कहानी!!!
World’s Best Poems in Hindi
चालाक चित्रकार
चित्रकार सुनसान जगह में बना रहा था चित्र
इतने ही में वहां आ गया यमराज का मित्र (शेर),
उसे देखकर चित्रकार के तुरंत उड़ गये होश
थोड़ी देर में कुछ आई देख उसे चुपचाप,
बोला सुन्दर चित्र बना दूं बैठ जाइये आप!
इतने ही में वहां आ गया यमराज का मित्र (शेर),
उसे देखकर चित्रकार के तुरंत उड़ गये होश
थोड़ी देर में कुछ आई देख उसे चुपचाप,
बोला सुन्दर चित्र बना दूं बैठ जाइये आप!
उकरू मुकरू बैठ गया वह सारे अंग बटोर
बड़े ध्यान से लगा देखने चित्रकार की ओर,
चित्रकार ने कहा हो गया आगे का तैयार
अंब मुंह आप उधर तो करिये जंगल के सरदार,
बैठ गया वह पीठ फिराकर चित्रकार की ओर
चित्रकार चुपके से खिसका जैसे कोई चोर!
बड़े ध्यान से लगा देखने चित्रकार की ओर,
चित्रकार ने कहा हो गया आगे का तैयार
अंब मुंह आप उधर तो करिये जंगल के सरदार,
बैठ गया वह पीठ फिराकर चित्रकार की ओर
चित्रकार चुपके से खिसका जैसे कोई चोर!
बहुत देर तक आंख मूंदकर पीठ घुमाकर शेर
बैठे बैठे लगा सोचने इधर हुई क्यों देर,
झील किनारे नाव लगी थी एक रखा था बांस
चित्रकार ने नाव पकड़कर ली जी भरके साँस,
जल्दी जल्दी नाव चलाकर निकल गया वह दूर
इधर शेर था धोखा खाकर झुंझलाहट में चूर!
बैठे बैठे लगा सोचने इधर हुई क्यों देर,
झील किनारे नाव लगी थी एक रखा था बांस
चित्रकार ने नाव पकड़कर ली जी भरके साँस,
जल्दी जल्दी नाव चलाकर निकल गया वह दूर
इधर शेर था धोखा खाकर झुंझलाहट में चूर!
शेर बहुत खिसियाकर बोला नाव जरा ले रोक
कलम और कागज तो ले जा रे कायर डरपोक,
चित्रकार ने कहा तुरन्त ही रखिये अपने पास,
चित्रकला का आप कीजिए जंगल में अभ्यास!!!
कलम और कागज तो ले जा रे कायर डरपोक,
चित्रकार ने कहा तुरन्त ही रखिये अपने पास,
चित्रकला का आप कीजिए जंगल में अभ्यास!!!
Latest Hindi Poems on Life
माँ
साठ साल में सीखा मैंने,
रामायण गीता पढ़ना
पोते मगनलाल से सीखा,
है क ख ग घ लिखना।
घंटे भर का समय बहू ने,
दिया पढ़ाने में अपना।
सिखा दिया छोटी पोती ने,
गिनती माला में जपना।
साग सब्ज़ियां लेती हूं तो,
पैसे गिनकर देती हूं।
तोल मोल के बोल हमेशा,
खूब समझ मैं लेती हूं।
कोई मुझको ठग पाए यह,
तब से नहीं हुई घटना।
बेटों ने भी डिनर लंच का,
मतलब मुझको समझाया।
शाला जब बच्चे जाते तो,
बाय बाय कहना आया।
हुई निरक्षर से साक्षर मैं,
मेरा हुआ सफल सपना।
कविता कथा कहानी मैं,
पुस्तक अब पढ़ लेती हूं।
बच्चों से क्या प्रश्न पूछना,
यह भी मैं गढ़ लेती हूं।
बच्चों की हा- हा, ही- ही में,
सीखा मस्ती में हंसना।
साठ साल में सीखा मैंने,
रामायण गीता पढ़ना
पोते मगनलाल से सीखा,
है क ख ग घ लिखना।
घंटे भर का समय बहू ने,
दिया पढ़ाने में अपना।
सिखा दिया छोटी पोती ने,
गिनती माला में जपना।
साग सब्ज़ियां लेती हूं तो,
पैसे गिनकर देती हूं।
तोल मोल के बोल हमेशा,
खूब समझ मैं लेती हूं।
कोई मुझको ठग पाए यह,
तब से नहीं हुई घटना।
बेटों ने भी डिनर लंच का,
मतलब मुझको समझाया।
शाला जब बच्चे जाते तो,
बाय बाय कहना आया।
हुई निरक्षर से साक्षर मैं,
मेरा हुआ सफल सपना।
कविता कथा कहानी मैं,
पुस्तक अब पढ़ लेती हूं।
बच्चों से क्या प्रश्न पूछना,
यह भी मैं गढ़ लेती हूं।
बच्चों की हा- हा, ही- ही में,
सीखा मस्ती में हंसना।
Short Poems for Kids in Hindi Language
कितनी बड़ी दिखती होंगी
कितनी बड़ी दिखती होंगी, मक्खी को चीजें छोटी
समुद्र सा प्याला भर जल, पहाड़ सी एक कौर रोटी!
खिला फूल गुलदस्ते जैसा, कांटा भारी भाला सा
तालों का सूराख उसे, होगा बैरगिया नाला सा!
हरे भरे मैदानों की तरह होगा, इक पीपल का पात
पेड़ों के समूहसा होगा, बचा खुचा थाली का भात!
ओस बूंद शीशे सी होगी, सरसो होगी बेल समान
सांस मनुज की आंधीसी, करती होगी उसको हैरान!
समुद्र सा प्याला भर जल, पहाड़ सी एक कौर रोटी!
खिला फूल गुलदस्ते जैसा, कांटा भारी भाला सा
तालों का सूराख उसे, होगा बैरगिया नाला सा!
हरे भरे मैदानों की तरह होगा, इक पीपल का पात
पेड़ों के समूहसा होगा, बचा खुचा थाली का भात!
ओस बूंद शीशे सी होगी, सरसो होगी बेल समान
सांस मनुज की आंधीसी, करती होगी उसको हैरान!
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